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खेतों की सिंचाई के लिए सौर ऊर्जा रूपी समाधान

पोर्टेबल सोलर वाटर पंप पूरे साल खेती के लिए बिजली की उपलब्धता के साथ-साथ पानी के नियंत्रण को भी सुनिश्चित करता है।

भारत में कृषि, रोजगार उपलब्ध कराने के मामले में सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है और यह देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 18% का योगदान करता है।देश की करीब 60 प्रतिशत आबादी अपनी रोजी-रोटी के लिए कृषि और उससे जुड़े कार्यों पर निर्भर करती है।*

फसलों की बोआई, उन्हें उगाने और काटने में पानी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है।

भारत के 80% किसान छोटी जोत वाले हैं। उनमें से ज्यादातर किसान अपने खेतों की सिंचाई के लिए बारिश के पानी और खर्चीले तथा प्रदूषणकारी डीजल या केरोसिन से चलने वाले वाटर पंप पर निर्भर करते हैं। किसान को पूरे साल अपने खेतों की सिंचाई करनी होती है। ऐसे में डीजल या केरोसिन से चलने वाले वाटर पंप बेहद खर्चीले होने के साथ-साथ पर्यावरण के लिहाज से भी ठीक नहीं होते। ऐसी परिस्थितियों में किसानों को अपना गुजारा करने के लिए खेती के अलावा दूसरे कामों में अस्थाई तौर पर रोजगार तलाशना पड़ता है।

सोलर पंप से सिंचाई : एक समाधान

किसानों को इस वक्त खर्चीले डीजल पंप या 0.5 हॉर्स पावर इलेक्ट्रिक पंप पर मजबूरन निर्भर होना पड़ रहा है। बिजली की खराब व्यवस्था होने की वजह से इलेक्ट्रिक पंप भरोसेमंद सिंचाई की व्‍यवस्‍था नहीं हैं। सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप को बेहतर विकल्प के तौर पर लिया जा सकता है ये पंप ज्यादा भरोसेमंद होते हैं क्योंकि इनके लिए डीजल लाने की मुश्किलों से मुक्ति मिलती है। साथ ही बिजली का समयबद्ध उत्पादन भी होता है।

सौर ऊर्जा से चलने वाले वाटर पंप एक टिकाऊ विकल्प होते हैं। इन पर एक बार पैसा खर्च होता है और फिर वह कम से कम खर्च में लंबे वक्त तक चलते हैं। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से कर्ज उपलब्धो कराने के लिए एक ठोस वित्तीय व्यवस्था बनाया जाना समय की मांग है।

यह कैसे काम करता है

खेथवर्क्स पंप कम बिजली में ज्यादा काम करता है। इस वक्त गुमला और खूंटी जिलों में इन पंपों का परीक्षण किया जा रहा है। यह पूरा पंप सेट लगभग 6 किलोग्राम का है और इसे साइकिल पर रखकर आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है। अपने कम वजन की वजह से यह कुओं से पानी खींचने के लिहाज से सुविधाजनक है और किसी समुदाय के सदस्यों के बीच आसानी से इसका आदान-प्रदान किया जा सकता है।

इसकी प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं-

  • यह अत्यंत कुशल सबमर्सिबल पंप 330 वाट के सोलर पैनल से चलता है और 10 मीटर की रेंज पर यह प्रति सेकंड करीब एक लीटर पानी देता है।
  • यह पंप एक दिन में औसतन 30 किलो लीटर तक पानी उपलब्ध करा सकता है।
  • यह नलकूपों से पानी खींच कर करीब एक एकड़ खेत में लगी सब्जियों को 25 मिलीमीटर प्रति सिंचाई के हिसाब से 3 दिन के सिंचाई चक्र में फसल सींचने के लिए उपयुक्त है।

यह पोर्टेबल सोलर पंप खासकर छोटी जोत वाले किसानों को सिंचाई की बेहतर सुविधा देने के लिए है। सबसे पहले इस पर ध्यान देना है कि स्थानीय स्तर पर इस पंप के वितरण के लिए नेटवर्क बने और बैंकों, स्वयं सहायता समूहों तथा लघु वित्त संस्थाओं के सहयोग से वित्तीय उत्पाद विकसित किए जाएं। इससे किसानों को टेक्नोलॉजी तक पहुंच बनाने में आसानी होगी। साथ ही वे अपने परिवारों को वित्तीय सुरक्षा भी दे सकेंगे।

खेथवर्क्स पंप को एमआईटी के एक पूर्व छात्र ने विकसित किया है। इसकी आधारभूत टेक्नोलॉजी भारत में लाए जाने से ढाई साल पहले एमआईटी द्वारा विकसित की गई थी। खेथवर्क्स सोलर सिंचाई पंप पर आगे चलकर झारखंड और पश्चिम बंगाल में और शोध, विकास तथा परीक्षण किया गया।

*July 2020, https://www.statista.com/topics/4868/agricultural-sector-in-india/#:~:text=The%20agriculture%20sector%20is%20one,18%20percent%20to%20India's%20GDP.

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